बदला जमाना बदला पहरावा
बदला जमाना बदला पहरावा
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बदला जमाना बदल गए दस्तूर
बदला पहरावा किस का कसूर
संस्कृति बदली बदले हैं संस्कार
रीति रिवाज बदले हैं सभ्याचार
स्त्रीत्व के बदल गए हैं आधार
पहरावे होते सभी गए निराधार
उन्नी सौ अस्सी तक सदाबहार
पहनती थी साड़ी सूट सलवार
साड़ी छोड़ा सूट सलवार साथ
साड़ी बिन हो गए सूट अनाथ
जींस आ गई अब साथ निभाने
सूट सलवार थे लग गए ठिकाने
स्कीन टाइट स्लैक्स का जमाना
पारदर्शी स्लैक्स हुआ दीवाना
आंतरिक वस्त्र होने लगे स्पष्ट
विचारधारा दिखने लगी अस्पष्ट
दो हजार बारह ना दिखा सुधार
कमर तक बंट गया सूट सलवार
कूर्ते कट कर नाभि तक आए
अंग प्रत्यंग भी स्पष्ट नजर आए
कॉलेज से लेकर अधेड़ उम्र तक
प्रतियोगिता परस्पर बेहद तक
महिलाओं ने भी किया कमाल
साथ दिया पर ना किया सवाल
स्लैक्स हो अब गए रंग बिरंगे
पिंडलियों तक पहुंचे हो अधनंगे
यूरोपीय पहरावा नकल साकार
हिंदू नारी हो गई अधिक शिकार
सौम्य था नारी भारतीय पहरावा
सांस्कृतिक संस्कारु था पहरावा
आओ करें कोशिश मिल सारे
पहने भारतीय परिधान पहरावे
बहू ,बेटियों, बहनो को समझाए
नंगेपन प्रचलन से उन्हें बचाए
अगर कम पहरावा मॉर्डन होता
जानवर इंसां से सदा आगे होता
याद रखो सभी सदैव यह युक्ति
विवेकानंद की यह सार्थक युक्ति
खत्म करे हम यूरोपीय षड्यंत्र
सुखविन्द्र सुधरेगा भारतीय तंत्र
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)