बदलाव
******* बदलाव *******
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यह कैसा बदलाव है भाई,
शिक्षा का बुरा हाल है भाई।
जो थे कन्या स्कूल बनवाये,
खत्म किये कमाल है भाई।
बेटी पढ़ाओ का देकर नारा,
कैसा फैलाया जाल है भाई।
शिक्षक पद सरप्लस बना,
चली घिनौनी चाल है भाई।
मर्ज कर दिए स्कूल हमारे,
न रही कोई संभाल है भाई।
शिक्षा तो है बुनियादी मुद्दा,
मूलभूत जरूरी ढाल है भाई।
उगता सूरज छिपता है जाए,
उल्टे-सीधे से ख्याल है भाई।
बिगड़ी शिक्षा बिगड़ेंगी नस्लें,
न कहीं गलेगी दाल है भाई।
उठो – जागो हो गया सवेरा,
हाथ न आया काल है भाई।
मनसीरत तो सोच-सोचकर,
बुरा दौर विकराल है भाई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)