बदलाव
जिंदगी में सदैव,
बदलाव हमे करना होगा,
अपनी मंदा प्रवृत्ति को त्याग,
नोनी प्रवृत्ति को अंगीकारना होगा,
तथा हम लह सकते हैं,
जीवन में अपने लक्ष्य को।
किसी भी व्यक्ति के,
वर्तमान को अंबक हमें,उसके भविष्य का ,
कयासा नही खटकना होगा,
क्योंकि व्यक्ति पटकान रुपांतर जाए,
यह कथन नहीं कल्पनीय है।
कोई भी व्यक्ति जन्म से,
होता नहीं मंदा है,
वह अपनी संगति के सबब ही,
बन जाता मंदा है।
ताकीदी नहीं जो बिगड़ जाए,
वह कभी सुधर नहीं सकता है,
जिंदगी में प्रयत्न करने से,
कुछ भी नहीं असंभव है।
अपने लक्ष्य को लहना है,
तो बदलाव हमे करना होगा ।
नाम-उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार