*बदलाव की लहर*
बदलाव_ की_ लहर
———————————————
ढूंढ रहा हूं अब मैं बदलाव की लहर।
उगले ना आदमी जहां में कोई जहर।
सबको जीने का हक मिले यूं भरपूर,
ना रेप हो , कहीं भी किसी भी पहर।
बुजुर्गो को ना समझा जाए कवाड़,
बंद हो वो वृद्ध आश्रमों का शहर।
खत्म हो नज़र फेर लेने का रोग,
साफ हो सबकी वो कातिल नजर।
खत्म हो अब धर्म का वो व्यापार,
मीडिया में आती रहे सुखद ख़बर।
मन में ना हो किसी के कोई बोझ,
खत्म हो असहज दुःख का कहर।
हम सभी को करना होगा आगाज,
जान लो कि जीवन है छोटा सफर।
बस यही बदलाव हमको चाहिए,
आदमी को चाहिए बस थोड़ा सब्र।
——————————————-
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।