बदलाव की बयार है __
आजकल जिधर देखो बदलाव की बयार है।
पैसे है तो प्यार नही तो कोई नही यार है।।
अपनी गाएंगे _ सुनेंगे नही तुम्हारी किसी की।
आत्म प्रशंसा का ही तो चल रहा व्यापार है।।
उम्र कच्छी _लिख रहे है जी बात सच्ची सच्ची।
नादान बच्चे बच्ची तक छोड़ रहे घर बार है।।
आपदाएं विपदाएं जो देखी झेली बुजुर्गों ने।
नव पीढ़ी ऐसी परिस्थितियों के लिए कहां तैयार है।।
गरीबी भूखमरी में भी पढ़ लिए बेटे _ बेटियां।
योग्यताएं पास मगर नोकरियों का इंतजार है।।
परिवर्तन ही परिवर्तन देख रहा हूं मैं जमाने में।
अपार खुशियों के साथ गमों का भी न पार है।।
राजेश व्यास अनुनय