Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2020 · 1 min read

” बदलते सुर “

कोई किसी गलत के खिलाफ
जब आवाज़ उठाता है
तो उसके विरूद्ध खड़े होकर
तुम्हारा सुर एक अलग राग गाता है ,

थप्पड़ खाने वाला ही तो
तिलमिला कर चिल्लाता है
थप्पड़ मारने वाले को चुप देख कर
तुम्हारा सुर एक अलग राग गाता है ,

यही हालात हर घर – शहर
प्रदेश और देश भोगता है
खुद को इनसे अलग मान कर
तुम्हारा सुर एक अलग राग गाता है ,

ये अलग से सुर वालों का सुर
बिना ताल का बड़ा बेसुरा होता है
इनको सुरों की जरा भी समझ नही
इनका सुर एक अलग राग गाता है ,

एक दिन जब थप्पड़ खाने वाला
पलट कर थप्पड़ मारता है
इन्हीं अलग सुर वालों का सुर
उसके साथ मिल जाता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13/10/2020 )

Language: Hindi
305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदना -जीवन का क्रम
संवेदना -जीवन का क्रम
Rekha Drolia
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मानव के सूने मानस में तुम सरस सरोवर बन जाओ,
मानव के सूने मानस में तुम सरस सरोवर बन जाओ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ऐसा क्या लिख दू मैं.....
ऐसा क्या लिख दू मैं.....
Taj Mohammad
🙅भूलना मत🙅
🙅भूलना मत🙅
*प्रणय*
संसार मे तीन ही चीज़ सत्य है पहला जन्म दूसरा कर्म और अंतिम म
संसार मे तीन ही चीज़ सत्य है पहला जन्म दूसरा कर्म और अंतिम म
रुपेश कुमार
हर कोई समझ ले,
हर कोई समझ ले,
Yogendra Chaturwedi
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
मैं कुछ सोच रहा था
मैं कुछ सोच रहा था
Swami Ganganiya
लेकिन वतन तू जिन्दाबाद रहे
लेकिन वतन तू जिन्दाबाद रहे
gurudeenverma198
कोई मरहम
कोई मरहम
Dr fauzia Naseem shad
4211💐 *पूर्णिका* 💐
4211💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्यों हिंदू राष्ट्र
क्यों हिंदू राष्ट्र
Sanjay ' शून्य'
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
भोर सुनहरी
भोर सुनहरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
हिंसा न करने का उथला दावा तथा उतावला और अनियंत्रित नशा एक व्
Dr MusafiR BaithA
वफ़ा और बेवफाई
वफ़ा और बेवफाई
हिमांशु Kulshrestha
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
खरी - खरी
खरी - खरी
Mamta Singh Devaa
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
Shambhavi Johri
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
वो आए और देखकर मुस्कुराने लगे
Surinder blackpen
एक बार होता है
एक बार होता है
Pankaj Bindas
सफर में हमसफ़र
सफर में हमसफ़र
Atul "Krishn"
भाई
भाई
Dr.sima
Loading...