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12 Nov 2021 · 1 min read

बदलते विचार

कुछ पंक्तियों को समर्पित करता हूं , इसे हमारा एक प्रयास ही समझिएगा। ??

अब तुम्हारे लफ्ज़ो में रस नही ।
इसे मैं कैसा बदलाव समझूँ ।।

तेरे शब्दो का स्वाद अब तीखा सा हो गया ।
क्या शब्दकोष में शब्दों का अभाव समझूँ ।।

विचारों के साथ अब तुम भी बदल गए ।
इसे मैं किसका दबाव समझूँ ।।

फासले तो अनवरत जारी है अब ।
इसे कैसी हवा का बहाव समझूँ ।।

दर्द तो अब महसूस होने लगा हमे ।
इसे किसका दिया हुआ घाव समझूँ ।।

खामोशी नजर आने लगी तेरे लबों पर ।
इसे सच समझूँ या बचाव समझूँ ।।

?️अनु कुमार ओझा की कलम से

Language: Hindi
8 Likes · 4 Comments · 1405 Views
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