बदलते वक़्त में खुद को ——- गजल/ गीतिका
बदलते वक़्त में खुद को,बदल कर देख लो यारो।
रास्ते जीने के अपने अलग ही देख लो प्यारो।
वक़्त में मोड़ आया है,नया कुछ ऐसा लाया है।
संभल कर रहना है सबको,दूरियां कर लो ओ प्यारो।।
वक़्त ने मार मारी है,आपकी क्या तैयारी है।
घरों में बैठ कमियों को,कर लो अब दूर तो यारो।।
वक़्त यह बीत जाएगा, तुम भी तो जीत जावोगे।
उठा संकल्प विजय का, जीना एकांत में सीखो ओ यारो।।
हौसला खोने न पाए,आपदा कैसी ही आए।
फौलादी जीगर लेकर,लड़ना सीख लो यारो।।
संघर्षों से टकराना, सीखा भी सिखाया है।
विजय का घूंट पीकर के,बुझा लो प्यास को प्यारो।।
राजेश व्यास अनुनय