– बदलते रिश्ते –
– बदलते रिश्ते –
रिश्तों का यू मोल घट गया,
हुआ संस्कारों का हास,
तज दी लोगो ने लाज शर्म ,
और बेच दिया ईमान,
आजकल के रिश्ते बदल गए,
पिता डैडी बन गए,
माता बन गई मोम,
भाई को ब्रदर बना दिया,
बहन को बना गया सिस्टर,
टीवी संस्कारो को खा गई,
नही दिखाती आजकल पहले जैसा कार्यक्रम (प्रोगाम)
आजकल झगड़े होते सास बहू बात हो गई आम,
पहले की वो लाज शर्म का हो रहा अवसान,
है ईश्वर तेरे से भरत गहलोत करता अरदास,
एक बार तू फिर से ला दे वो लाज, शर्म , संस्कार,
इन बदलते रिश्तों पर प्रभु तू ही अब विराम लगा,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184