– बदलते ख्वाब –
– बदलते ख्वाब –
पहले था ख्वाब पीएचडी करने का
नेट क्वालीफाई करके,
विश्वविद्यालय व्याख्याता बनने का,
समय के साथ बदल गया यह ख्वाब,
कुछ परिस्थितियों के कारण,
कुछ अपनो की दगाबजी के कारण,
वो सपना छूट गया एक नया ख्वाब फिर जुड़ गया,
ख्वाब था वो एक सफल व्यवसायि बनने का,
टाटा बिरला का बिजनेस बना,
हमारे व्यवसाय को मिले उनके मैनेजमेंट का ज्ञान,
व्यवसाय जगत में कुछ हो जाए अपना भी नाम,
शिक्षक का बेटा शिक्षक कभी न होता,
व्यापारी का बेटा संभवत व्यापारी हो जाए,
इसलिए एक सफल व्यापारी बनने का था हमारा ख्वाब,
वो ख्वाब भी अपनो की खातिर टूट गया,
करो अपने तो नौकरी (मजदूरी)दूसरो के आगे ,
सपना यू चकनाचूर हुआ,
अब जब कालेज की पढ़ाई के साथ मिला सपना एक अलग ही,
कालजयि बनने की हुई एक आस,
अब उसी सपने के लिए रात दिन मेहनत है कर रहे,
मां शारदे की अनुकंपा से एक दिन इस ख्वाब को हम जरूर करेंगे साकार,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान