बदलती सरकार
प्रजा बदली राजा बदल गए
बदल गई सरकार,
सुधरा न मेरा सिस्टम
कम हुआ न अत्याचार ।
गंदी नली के कीड़े करते हैं मनमानी
स्वेत नदी की मछलियां हो रही सयानी,
जहां जिस राह से निकले राही
होता उनपर अत्याचार ।
जान गवां बैठे जो आजादी में
उसका नाम नही कोई लेता ,
जो कभी न लाठी खाई
वही बन जाए राजनेता,
कबतक ऐसा खेल होगा
कब मिटेगा अत्याचार ।
देश हित में नारे लगते
गरीबी दूर करो के डींग भरते
देश विकास के गाथा गाते
पांच साल के कामों का
हिसाब दिखाते
और दिखाते कितना कम हुआ बलात्कार।
विदेश से तकनीक आता
देश का पैसा स्विस जाता
एक पार्टी गिरती है
तो दूसरे का राज आता
आता -जाता है नीरव मोदी
और माल्या से डरती है सरकार ।
चाहे लगे जीएसटी
चाहे हो नोटबन्दी
बड़े-बड़े कछुओ पर
होती नही पाबंदी
सब देख -देख होते हैं हैरान
घाटा होता है गरीबों का
जनता होती है परेशान
ऐसा हाल हुआ तो
फिर धधक उठे ज्वालामुखी, हो जाए उदगार ।
अन्ना करे आंदोलन
केजरीवाल लाभ उठाते हैं
गंदी है इस देश की राजनीति
बोस नजरबंद कर दिए जाते हैं
क्या हिट करेगा राष्ट्र फ़िल्म
जब खलनायक नायक का करे किरदार ।
प्रजा बदली ………
साहिल की कलम से……