बदलता मौसम
**बदलता मौसम (ग़ज़ल)**
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मौसम बदलता ही जा रहा,
बादल गरजता ही जा रहा।
है देख कर नंगा नाच वहाँ,
आँचल सिमटता ही जा रहा।
की कोशिशें हैं तम ने यहाँ,
तारा चमकता ही जा रहा।
बजता रहा पायल की तरह,
पग पग थिरकता ही जा रहा।
दिल को लगाया है तो कहीं,
धुंआ सुलगता ही जा रहा।
नजरें शराबी हैं मारती,
लोहा पिघलता ही जा रहा।
देखो ज़रा मनसीरत यहाँ,
मौका खिसकता ही जा रहा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)