बदलता भारत
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
लोकतंत्र,विद्या,आस्था की बने इमारत
कामयाबी की लिखती नित नई इबारत
सोने की चिड़िया बनाने सब प्रयासरत
नवयुग में नव पीढी़ पाती है नवसम्मान
आखिरी पंक्ति तक पहुंचा है स्वाभिमान
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
पूरी करता है जन की एक-एक हसरत
युगों से थी कामना सर्वे सन्तु निरामया:
आज कर्म बनाये विश्व में निरोगी काया
टीकों दवाओं का है करता अनुसंधान
संग योग का विश्व व्यापी दिया विज्ञान
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
रत है नव-निर्माण,कल्याण में अनवरत
गर्म हौसले,हिमालय में भी न देते जमने
चीर दिये चट्टानों के चट्टानी सीने हमने
बना दी है विकट-खड़े पहाड़ों में सुरंग
दक्षता देख दाद देते देश-दुनिया है दंग
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
नमन् करता वीरों की एक-एक शहादत
आजाद हुए तो,दाने-दाने को थें मोहताज
आज हम सारी दुनिया को देते है अनाज
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
विश्व में बढ़ाता मधुर-संबंध संग तिजारत
सजा रहा,संभाल रहा संस्कृति-विरासत
ऊंचाइयों की खड़ी करता है नई इमारत
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
लगा है नव-निर्माण,कल्याण में अनवरत
संजोये अंतरिक्ष में,तिरंगे की ऊंची उड़ान
पूरा करेंगे सारे ये चंद्रयान और गगनयान
सचमुच में ही बदल रहा है मेरा भारत
नई तकनीक,कौशल में बढ़ा रहा महारत
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मौलिक एवं स्वरचित :रचना संख्या:-१०
जीवनसवारो.मई २०२३.