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26 Nov 2022 · 1 min read

बदलता चेहरा

चेहरे पे चेहरा रखते हो
मनुष्य तुम तो हर पल बदलते हो
कहाँ कैसा वेश धरना है, ये तुम बखुबी जानते हो
प्रतिदिन आईने में, झलक खुद की देखते हो
फिर भी रख नकाब चेहरे पे अपने
लोगों को कुछ ओर ही परिचय देते हो,
चेहरे से, तुम्हारी ये शख्सियत मेल नहीं खाती
कबतक छूपाओगे खुदको, तुम इस फरेब में
खुद की नजर में तो तुम हर वक़्त रहते हो।

– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 281 Views
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