बदरा आजा रे!
बदरा नभ में घिर घिर आओ,
तपन मिलन की धरती को हैं ।
मिलकर स्नेह बढाओ ।
बदरा नभ में घिर घिर आओ।
तुम बिन नभ शून्य कहाता,
तुम ही हो नव जीवनदाता।
रोर जोर से नभ में छाओ।
बदरा नभ में घिर घिर आओ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र #विप्र
बदरा नभ में घिर घिर आओ,
तपन मिलन की धरती को हैं ।
मिलकर स्नेह बढाओ ।
बदरा नभ में घिर घिर आओ।
तुम बिन नभ शून्य कहाता,
तुम ही हो नव जीवनदाता।
रोर जोर से नभ में छाओ।
बदरा नभ में घिर घिर आओ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र #विप्र