बदमाश किरणें
बड़े बदतमीज हो गए तुम,
क्यों तडपा रहे धरतीवासियों को
खुब लगाई फटकार ,
सूर्य ने अपनी किरणों को।
जब ना मानी बात वह प्रेम से,
दो लगाई चांटा गाल में उसके
बड़े बड़े आंसू गिरने लगे किरणों के
चीख चीख कर रोने लगी वह,
धरती हुई प्रसन्न उसकी हरकत से
क्योंकि आई वर्षों उसके रोने से
बेचारा सुर्य हुआ परेशान
चुप चुप करता था थक गया वह,
आखिर में बोला वह,
चुप हो जा लाडो मेरी
रोना भी तेरा आफ़त हो गया सभी का।