बदनाम क्यूँ ????
ये किस्सा जिन्दगी में हमने आम होते देखा है।
हमने अच्छाइयों को नाकाम होते देखा है।
शोहरतें उनको मिलीं जिनका न ईमान कोई
सच्चे लोगों को हमने बदनाम होते देखा है।
करता है जुर्म कोई और कोई भुगते सज़ा
अक्सर इंसाफ बेलगाम होते देखा है।
हमने नारी की इज़्ज़त की धज्जियों को
तार-तार सड़कों पे सरेआम होते देखा है।
ऐ ऊपर वाले तेरी रहमतों की है दरकार
तेरी रहमत का भला अंजाम होते देखा है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
दिनांक 14/12 /2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
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