Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

बदकिस्मत

वह मेरे घर आये और
मुझे कहीं न पाकर
ढूंढ ढांढकर वापिस चले गये
मैं उनके सामने थी
उन्हें देख पाई पर
वह मुझे नहीं देख पाये
कुछ लोग होते ही हैं
बदकिस्मत
उन्हें अच्छे लोगों की
परख नहीं होती
उनका साथ उनके नसीब में
नहीं होता
उनके सानिध्य से भी
वह लाभान्वित नहीं होते
खाली हाथ लेकर
आते हैं
और खाली हाथ लिये वापिस लौटकर
चले जाना ही
उनकी फूटी किस्मत में
लिखा होता है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
87 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
"सुसु के डैडी"
*Author प्रणय प्रभात*
तुंग द्रुम एक चारु🥀🌷🌻🌿
तुंग द्रुम एक चारु🥀🌷🌻🌿
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हार जाते हैं
हार जाते हैं
Dr fauzia Naseem shad
*पॉंच सदी के बाद देश ने, गौरव का क्षण पाया है (मुक्तक)*
*पॉंच सदी के बाद देश ने, गौरव का क्षण पाया है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
2806. *पूर्णिका*
2806. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माँ
माँ
SHAMA PARVEEN
गांव - माँ का मंदिर
गांव - माँ का मंदिर
नवीन जोशी 'नवल'
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
goutam shaw
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
आप इसे पढ़ें या न पढ़ें हम तो बस लिखते रहेंगे ! आप सुने ना सुन
आप इसे पढ़ें या न पढ़ें हम तो बस लिखते रहेंगे ! आप सुने ना सुन
DrLakshman Jha Parimal
💐मैं हूँ तुम्हारी मन्नतों में💐
💐मैं हूँ तुम्हारी मन्नतों में💐
DR ARUN KUMAR SHASTRI
..........अकेला ही.......
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
कर्त्तव्य
कर्त्तव्य
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
परछाई (कविता)
परछाई (कविता)
Indu Singh
चुनिंदा लघुकथाएँ
चुनिंदा लघुकथाएँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
एक ऐसा दृश्य जो दिल को दर्द से भर दे और आंखों को आंसुओं से।
एक ऐसा दृश्य जो दिल को दर्द से भर दे और आंखों को आंसुओं से।
Rekha khichi
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
42 °C
42 °C
शेखर सिंह
आहट
आहट
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
-------ग़ज़ल-----
-------ग़ज़ल-----
प्रीतम श्रावस्तवी
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
Vishal babu (vishu)
छोड़ दिया
छोड़ दिया
Srishty Bansal
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
PRATIK JANGID
इंसान दुनिया जमाने से भले झूठ कहे
इंसान दुनिया जमाने से भले झूठ कहे
ruby kumari
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
रक्षा बन्धन पर्व ये,
रक्षा बन्धन पर्व ये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...