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21 May 2023 · 1 min read

*बदकिस्मत थे, जेल हो गई 【हिंदी गजल/गीतिका】*

बदकिस्मत थे, जेल हो गई 【हिंदी गजल/गीतिका】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
बदकिस्मत थे, जेल हो गई
खुशकिस्मत थे, बेल हो गई
(2)
कोई सिस्टम कहीं नहीं है
न्याय-व्यवस्था फेल हो गई
(3)
सब डिब्बों में परिवारी-जन
राजनीति यों, रेल हो गई
(4)
चला मुकदमा इतने दशकों
दिल की धड़कन फेल हो गई
(5)
लगा मुकदमा ,खर्चे की गति
पैसेंजर थी , मेल हो गई
——————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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