बताओ मैं कौन हूं?
बताओ मैं कौन हूं?
किसी ने मुझे अनपढ़ हीरा कहा,
तो किसी ने मुझे बहदुरआ कहा।
किसी ने मुझे राय बहादुर कहा,
तो किसी ने मुझे शेक्सपियर कहा।।
बताओ मैं कौन हूं?
मेरा जन्म 18 दिसंबर 1887 ई. को गांव में हुआ,
मेरा पता बिहार में सारण जिला कुतुबपुर हुआ।
मेरा गांव सोन, गंढ़क और गंगा नदी के किनारे हुआ,
मेरा बचपना इस नदी के किनारे दियारा में बिता हुआ।।
बताओ मैं कौन हूं?
मुझे पढ़ने में मन नहीं लगता था,
तो घर की गईया चराने जाता था।
फिर से पढ़ने की जब इच्छा किया,
तो गांव के साव जी मास्टर साहब से ज्ञान लिया।।
बताओ मैं कौन हूं?
नाई समाज से आता था,
घर की पेशा निभाता था।
दाढ़ी – मुड़ी बनाता था,
इसी से जीवकोपार्जन चलता था।।
बताओ मैं कौन हूं?
बाल विवाह का शिकार हुआ,
पहली पत्नी का देहांत हुआ।
फिर दूसरी पत्नी का सिंगार हुआ,
अब गरीबी में लाचार हुआ।।
बताओ मैं कौन हूं?
निकला घर से पहली बार,
जाके पहुंचा खड़गपुर द्वार।
मन वहां भी मेरा नहीं लगा,
तो मैं वापस कलकत्ता भगा।।
बताओ मैं कौन हूं?
मेहदिनीपुर की रामलीला,
मुझे रामचरितमानस दिला।
जगन्नाथ पुरी की रासलीला,
मन में नाटक की आस दिला।।
बताओ मैं कौन हूं?
फिर मैं वापस गांव लौटा,
कुछ लड़कों को किया गोटा।
रामलीला की मंडली बनाई,
सब ने मेरा साथ निभाई।।
बताओ मैं कौन हूं?
कवि, गीत, नाटककार और मैं निर्देशक था,
लौंडा का नाच पहली बार देखा दर्शक था।
घर से दबाव और लगा पहरेदार था,
लुका छुपी से पहचान बना विदेशिया का जो प्यार था।।
बताओ मैं कौन हूं?
बाल विवाह, छुआ-छूत, घर की कलह को दिखाया था,
समाज के कुरीतियों के खिलाफ आवाज मैंने उठाया था।
देश विदेश में भोजपुरी में पहचान अपना बनाया था,
लौंडा का नाच दिखा कर मैंने पैसा खुब कमाया था।।
बताओ मैं कौन हूं?
पढ़ा-लिखा मैं ज्यादा नहीं,
पर समाज को कभी ठगा नहीं।
जितना में था मैं ईमानदार था,
सामाजिक चेतना का सरोकार था।।
बताओ मैं कौन हूं?
गुलामी के अंधेरों से आजादी के उजाला तक को देखा,
परंपराओं को तोड़ते हुए भोजपुरी में खिंच गया सुनहरा रेखा।
10 जुलाई 1971 ई. को मृत्यु लोक छोड़ स्वर्गवासी हो रखा,
पता नहीं मेरे कला को इस दुनिया वालों ने कितना परखा।।
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@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।