बताओ तो जाने -कुछ पहेलियाँ –आर के रस्तोगी
गर्मी में गर्मी पाकर,बड़ा हो जाता है वो
सर्दी में सर्दी पाकर,छोटा हो जाता है वो
गर्मी में अच्छी न लगे,बदसूरत लगती है वो
सर्दी में वो अच्छी लगे,खूबसूरत लगती है वो
कहो कौन हो तुम दमयंती सी इस तरु के नीचे सोई
हाय! तुम्हे भी सोता छोड़ गया नल सा निष्ठुर कोई
गर्मी में वो बहुत लगती है,सर्दी में लगती है न वो
बरसात में कहाँ जाती है दिखती किसी को न वो
गर्मी में वो पिघलती है,सर्दी में जम जाती है वो
बरसात में मिलती नहीं,नदी में बह जाती है वो
गर्मी में वह आ जात है,कपड़े उतरवा लेता है वो
सर्दी में वो आता नहीं,खूब कपड़े पह्नवाता हे वो
गर्मी के मौसम में ये लिखी गई है सुनो सब श्रीमान
जल्दी से जबाब दो इनका पर समझ कर देना श्रीमान
जल्दी से देगा जो जबाब उनको मिलेगा ईनाम
पहले पच्चीस को मिलेगा यह लेखक का फरमान
आर के रस्तोगी
मो 9971006425
ईमेल:ramkrishan.rastogi@gmail.com