बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र को हराना है तो शौक रखिए
कुछ चुनिंदा से दोस्त तू जेब में रखिए
बढ़ती उम्र को हराना है जिंदा दिल बनिए
कभी कभी बच्चों सी हरकतें तो कीजिए
बढ़ती उम्र को हराना है तो जोर से हंसिये
कुछ नीला, गुलाबी चटकीला तो पहनिए।
बढ़ती उम्र को हराना हैं तो बेख़ौफ़ बोलिए
लोग क्या कहेंगे, ये सोचना बंद कीजिए
बढ़ती उम्र को हराना है सोचना छोड़ दीजिए
जिंदगी एक खेल है बस उसका मजा लीजिए
बढ़ती उम्र को हराना है खुद को व्यस्त रखिए
कुछ न कुछ हर बक्त यारों करते ही रहिए
बढ़ती उम्र को हराना है खुद को वक्त दीजिए
कोई बची आरजू को पंख लगा उड़ानें भरिए
उम्र को हराना है तो जिंदगी को जीतने दीजिए
कल की चिंता छोड़ बस आज का मजा लीजिए
बढ़ती उम्र खुद थम कर चुप हो जायेगी
तुम एक बार कविता पे अमल तो कीजिए
दीपाली अमित कालरा