Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2022 · 2 min read

– बढ़ती अराजकता से देश की एकता व अखंडता को खतरा –

-बढ़ती अराजकता से देश की एकता व अखंडता को खतरा –
वर्तमान समय मे देश मे अराजकता का बोलबाला है,
धार्मिक मतभेद व मनभेद अपनी चरम सीमा पर है,
राष्ट्र की एकता व अखंडता खंडित हो रही है धीरे -धीरे मानव -मानव में द्वेष भावना का विकास प्रबलता से हो रहा है,
मानव -मानव में यह भेद व ईष्या , द्वेषभाव मनुष्य को खंडित कर रहा है ,
जिससे कई मनुष्यो में हीन भावना घर कर रही है,
आदमी -आदमी से कटता जा रहा है,
कही पर धर्म के नाम पर ,कही क्षेत्र,प्रदेश , राज्य के नाम ,
जाति के नाम पर, और इन सबको बाटने का काम सरकारे कर रही है,
जो उनको -मुस्लिम , सिख , इसाई, जैन , बौद्ध धर्म ,व अन्य जातियों ,उपजातियों में बांटकर अपने वोट बैंक को मजबूत कर रही है,
अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे लोगो को धर्म के नाम पर आपस मे लड़ाई करवा रही है ,
एक दूसरे को अपने लिए खतरा बता रही है ,
कई लोग व राजनेता बता रहे है कि हिन्दू खतरे में है कोई कह रहा है मुस्लिम खतरे में है,
वास्तव में देखा जाए तो यह राजनेता ऐसी धार्मिक वैमनस्यता नही फैलाए तो उनकी कुर्सी राजनीति खतरें में है,
भारत की जनता को चाहिए कि वो मानवता के मर्म को समझे व धर्म मे मानव धर्म , जाति मे मानव जाति, सम्पदाय मे मानव सम्पदाय,रंग में मानव रंग ,मानव मात्र में ईश्वर का अंश विधमान है इस अवधारणा को समझे,
राजनेताओ की चाल को समझे व यह समझे की न हिन्दू खतरे में है न मुस्लिम खतरे में हैं न ही कोई सम्पदाय खतरे में है बल्कि वास्तविकता में मानवता खतरें में है ,
राजनेताओ को चाहिए कि वे धर्म की राजनीति न करते हुए देश के विकास की राजनीति की ,
प्रतिस्पर्धा विकास की रखे कि अमुक पार्टी ने इतना विकास किया तो इससे ज्यादा विकास करेगे,
शिक्षा , स्वास्थ्य , रोजगार, चिकित्सा , सड़क मार्ग को सुधारने में अपना योगदान करे न कि वैमनस्यता फैलानी की प्रतिस्पर्धा करे ,
और ऐसा कार्य करना राजनेताओ के लिए संभव नही है,
जिस दिन ऐसे राजनेता संसद में आ जाएंगे तब स्वत् ही भारत विकास के पथ पर अग्रसर होगा व विश्व गुरु के सम्मान को सच्चे अर्थों में प्राप्त करेगा,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

Language: Hindi
Tag: लेख
83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
उलझी रही नजरें नजरों से रात भर,
sushil sarna
तू मुझको संभालेगी क्या जिंदगी
तू मुझको संभालेगी क्या जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
मुहावरे में बुरी औरत
मुहावरे में बुरी औरत
Dr MusafiR BaithA
आखिर क्या कर रहे हो
आखिर क्या कर रहे हो
Sudhir srivastava
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
जरूरत तेरी अब वैसी नहीं
gurudeenverma198
🙅आज का सच🙅
🙅आज का सच🙅
*प्रणय*
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
Rj Anand Prajapati
10) “वसीयत”
10) “वसीयत”
Sapna Arora
एक शपथ
एक शपथ
Abhishek Soni
समय ही तो हमारी जिंदगी हैं
समय ही तो हमारी जिंदगी हैं
Neeraj Agarwal
" मरघट "
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी पहचान
अपनी पहचान
Dr fauzia Naseem shad
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
डर नाहि लागो तोरा बाप से
डर नाहि लागो तोरा बाप से
श्रीहर्ष आचार्य
*न्याय दिलाओ*
*न्याय दिलाओ*
Madhu Shah
पिंड दान
पिंड दान
Shashi Mahajan
*रंगों का ज्ञान*
*रंगों का ज्ञान*
Dushyant Kumar
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रावण का पुतला
रावण का पुतला
SURYA PRAKASH SHARMA
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
Ajit Kumar "Karn"
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
धीरे-धीरे कदम बढ़ा
Karuna Goswami
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*राम पंथ अति उत्तम सतपथ*
*राम पंथ अति उत्तम सतपथ*
Rambali Mishra
हो नजरों में हया नहीं,
हो नजरों में हया नहीं,
Sanjay ' शून्य'
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
लैपटॉप
लैपटॉप
Suryakant Dwivedi
सामाजिक संस्कारों का पतन:
सामाजिक संस्कारों का पतन:
जगदीश शर्मा सहज
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...