आमों की बात करें
क्यूं रोज रोज के बढते हुए दामों की बात करें
आम का मौसम है चलो आमों की बात करें ।
तारीफ़ों सें तो गरीब का हरगिज न भरेगा पेट
सङने वाले गेहूँ के गोदामों की बात करें ।
जो वतन-परस्त हैं वो मुद्दों पर चर्चा करें
बाकी सारे कले के पुलवामों की बात करें ।
बेबस तो बिका है खुद ही हालात के हाथों
कुछ कागजों के मालिक गुलामों की बात करें ।
पुर-आब तबीयत सें और ‘सागर’ तश्नालब
किस तरह गुजरी है खुश्क शामों की बात करें ।
‘सागर घङसानवी’