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19 Feb 2024 · 1 min read

* बडा भला आदमी था *

काफिला चला जा रहा था
मै उसके संग
चलने की कोशिश कर रहा था
वो बढ़ता ही जा रहा था
मुझे पीछे छोड़ते हुए
किसी एक ने भी
पीछे मुड़कर नही देखा
कि मैं कैसे कहाँ था
आशा मुझे भी थी कि
कोई साथ मुझे ले चले
मै पिछड़ता जा रहा था
पर किससे
अपनों और
अपने काफिले से
मैने लाख कोशिश की
साथ चलने की पर
साथ देने वाला न मिला
काश ये काफिला रुकता
और
मुझे अपने संग ले चलता
इस उम्मीद में
मै छला जा रहा था पर
मुझसे और नही
चला जा रहा था
लोग समझ रहे थे
मै नाटक कर रहा था
पर ये जमीनी
हकीकत थी
लोग चलते रहे
मै जलता रहा
भीतर की
अनदेखी आग से
कब जलकर
मै राख हो गया
मुझे भी ना पता चला
लोग मेरी राख से
खेल रहे थे होली
तभी पास खड़ी
एक मोहतरमा बोली
बडा भला आदमी था
जिसकी आज
राख यहां फैली है
मै अवाक् देखता रहा
कभी उसके चेहरे को
कभी
उस ठण्डी होती राख को ।……
….💐मधुप” बैरागी.”

Language: Hindi
164 Views
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