बड़े सलीके, सुकून और जज़्बात से
बड़े सलीके, सुकून और जज़्बात से
सिरा दिए जाते हैं हम दुनिया में
हजारों लहरें रगड़ कर धोती हैं हमें
कुछ मचलती हैं हमारे लिए, कुछ लुभाती हैं
कुछ पर हम उफनते हैं
और गवाँ बैठते हैं एक मुलायम- सी बेचैनी को
पल-प्रतिपल जीते हुए
बचता है तो बस अपना ही इन्द्रधनुषी एहसास
या वह जिसे हम सिर्फ महसूस भर करते हैं
– गेटे का अपनी प्रेयसी लोट को एक पत्र