बड़े आराम से आए होंगे
बड़ी खामोशी बड़े आराम से आए होंगे
वो अंधेरों की तरह शाम से आए होंगे
यूं ही कौन किसी से मिलने आता है
खुदगर्ज लोग हैं किसी काम से आए होंगे
उसमे इजहार करने की हिम्मत ही कहां है
ये मोहब्बत भरे खत गुमनाम से आए होंगे
ये गर्दिश के दिन अभी जाने वाले नहीं “अर्श”
कुछ दिन ठहरने के इंतजाम से आए होंगे