बड़ी वो हो
मैंने हाथ जोड़
विनम्र भाव से
पत्नी से निवेदन कर पूछा
कैसी हो ?
उसने हाथ मे बेलन लिया
फिर दहाड़ लगाई
क्या मतलब है ?
मैंने कहा :
कुछ नहीं सब हुआ
तुम्हारी कुशल पूछ लू
कुछ गलत नहीं किया ?
वह बोली :
35 साल में आज ऐसी
कौन सी
नयी बात हो गयी ?
जो निवेदन पर निवेदन
करते जा रहे हो
लगता है बुढापे में कोई
नयी मन भा गयी
जो मुझे निपटा रहे हो
मैंने कहा :
नही भागवान मैं तो तुम्हारा
शुभचिंतक हूँ
तभी तो इतने साल से
झेल रहा हूँ और उफ तक
नही कर रहा हूँ।
पत्नी ने अब नेत्र हथियार
का उपयोग किया और
आँसूओ की झड़ी लगा दी
बोली :
शादी के पहले ही बता देते
कि तुम मुझे झेलोगे तो
मैं तुमसे प्यार ही नहीं करती
सच टिन्नी की कसम
तुमसे अच्छा तो वो सुरेन्दर था
जो कहता था :
पलकों पर बैठाउगा
मैंने कहा :
35 से 80 किलो की हो गयी हो
कौन पलकों में बैठाऐगा ?
अब वह समझ गयी
” संतोष ” के बिना मेरी
दाल न गल रही थी और न गलेगी
इसलिये बोली:
सुनो जी क्या आप बुरा मान गये ?
मैं तो मजाक कर रही थी ।
मैंने कहा :
और मैं कौन सीरियस हूँ
मैं भी तो मजाक ही कर रहा था
वह बोली :
सच मैं आप बडे वो हो
मैंने भी कहा :
मैं भी तो यही कह
रहा था कि:
” तुम भी बडी वो हो ।”
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल