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31 May 2024 · 1 min read

बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,

बड़ी बेतुकी सी ज़िन्दगी हम जिये जा रहे हैं,
काश के जाल में खुद को उलझाए जा रहे हैं,
इल्म है हमें कि इस रेगिस्तान में ज़मज़म न मिलेगा
फिर भी उसे पाने को अपनी प्यास बढ़ाये जा रहे हैं।

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