बड़ी तक़लीफ़ होती है
बड़ी तकलीफ़ होती है
भ्रम के चक्रव्यूह में फँस जाता है
जब व्यक्तित्व का फल सफ़ा
तब बड़ी तक़लीफ़ होती है
लोगों की आकांक्षाओं के समन्दर में
जब गहरी पैठ नहीं हो पाती
तब बड़ी तक़लीफ़ होती है
कच्चे मकानों से रिश्तों के ढह
जाने के डर से मन की व्यथा
जब बनती है घुमावदार पेंच
तब बड़ी तक़लीफ़ होती है
तेज़ प्रखर धूप में चलते चलते
जब नहीं जुटा पाते तनिक सी भी छांव
तब बड़ी तक़लीफ़ होती है
ख़ामोश लब आँखों की बातें
जब दिल तक नहीं उतर पाती
तब बड़ी तक़लीफ़ होती है
डॉ दवीना अमर ठकराल दिवि✍️✍️