बड़प्पन
बड़प्पन
अक्सर बच्चे
लगा बैठते हैं
जिद्द
बड़े भी
लगा लेते हैं जिद्द
बच्चे जाते हैं रूठ
बड़े भी जाते हैं रूठ
जबकी बच्चों का रूठना
होता है क्षणिक
और बड़ों की
खप जाती हैं पीढ़ियाँ
रहते हैं रूठे ही
फिर बड़ों में
कहाँ होता है बड़प्पन
नहीं मिला
बहुत खोजने पर भी
-विनोद सिल्ला©