बजाई सीटी
घूम-फिर के इधर-उधर
गले मे बांध ली सीटी,
कई स्वर कई प्रकार
कई तरह बजाई सीटी।
कई जगह जहां तहां
पहचान बनाई सीटी,
क्या सोंचते कहते लोग
हंसते व्यंग बजाई सीटी।
बन गई प्रियतमा अपनी
उर लगा के बजाई सीटी,
ये ही हमें ले जाएगी
शिखर तक बजाई सीटी।
चाहने वालों की सोंचो
क्यों फिरते बांधे सीटी,
करो प्रयास सुधर जाओ
नाम कमाओ छोडो सीटी।
समझा ठीक रंग – ढंग
प्रतिष्ठा को बजाई सीटी,
नही छोडना व्यर्थ नही
ध्यान खुद बजाई सीटी।
महत्वपूर्ण – सावधान
उपयोगी बजाई सीटी,
फैले प्रकाश सचेत हों
जागें लोग बजाई सीटी।
संकट धैर्यपूर्ण निर्णय
साहस से बजाई सीटी,
आशंकित अप्रत्याशित
करी न देर बजाई सीटी।
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297