‘बजट’….
‘बजट’ दबा देता हैं आम लोंगो की आवाज़
कैसे जाएंगा कम आमदनी में जीवन..!
हर तरफ से वो करे हैं वार,
ऊपर से महंगाई की धुलाई…!
उसमें तकलीफ़ मध्यमवर्गीय
लोगो को होती हैं खास…!!
क्या… करे ऐसा होता हैं हर बार,
ऐसे ही निर्वाह करते रहते हैं तमाम,
ये…तो बजट हैं.. जो धीरे-धीरे करे हैं वार..!
कुछ भी करलो…
ऐ… पकडायेगा कैसे भी करके कान…!!