बच्चों ने सोचा (बाल कविता)
बच्चों ने सोचा (बाल कविता)
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पहले सोचा बच्चों ने
पेड़ों पर मौज मनाऍं,
फिर घबराए कहीं पेड़ से
गिर कर चोट न खाऍं।।
बैठ नाव में सैर सपाटा
फिर सोचा कर आऍं,
फिर सोचा हम मॅंझधारों में
कहीं डूब न जाऍं।।
हुआ अंत में तय
गुब्बारा भरा गैस का लाओ,
पकड़ो डोरी से फिर नभ में
ऊॅंचे उड़ते जाओ।।
बदकिस्मत से चोंच
एक कौए ने ऐसी मारी ,
औंधे मुॅंह सब गिरे धरा पर
बच्चे बारी-बारी।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451