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14 Nov 2022 · 1 min read

बच्चों ने सोचा (बाल कविता)

बच्चों ने सोचा (बाल कविता)
______________________
पहले सोचा बच्चों ने
पेड़ों पर मौज मनाऍं,
फिर घबराए कहीं पेड़ से
गिर कर चोट न खाऍं।।

बैठ नाव में सैर सपाटा
फिर सोचा कर आऍं,
फिर सोचा हम मॅंझधारों में
कहीं डूब न जाऍं।।

हुआ अंत में तय
गुब्बारा भरा गैस का लाओ,
पकड़ो डोरी से फिर नभ में
ऊॅंचे उड़ते जाओ।।

बदकिस्मत से चोंच
एक कौए ने ऐसी मारी ,
औंधे मुॅंह सब गिरे धरा पर
बच्चे बारी-बारी।।
———————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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