बच्चे
बलवान असद से दिखते है
पर बच्चे नादान नहीं है
नये -नये कौतुक वे करते
माँ से यह अनजान नही है
अब्द हो गये मोबाइल के
अक्षर का भी ज्ञान नहीं है
हिंसक हो गये है बच्चे अब
मर्यादा का मान नहीं है
गुल्ली डन्डा नहीं खेलते
खोया क्या ईमान नहीं है
अपनी -अपनी लगा रहे है
समझाना आसान नही है
लायक बन जाए पढ़ लिख
मात पिता अरमान नहीं है
असद —-शिंह
अब्द —- गुलाम