बच्चे
बच्चे
मेरी आँखों को भाता है
बच्चों का खिलखिलाता चेहरा
मेरे देह को छूं जाती है
उनकी कोमल त्वचा l
गुलाबी होठ है,
और छोटे-छोटे हाथ
इन मोतियों-सी आँखों ने
तोड़ा मासूमियत का ख़िताब
जिनकी हर शरारत भी प्यारी है l
हर गलती लगती न्यारी है
वो नन्हें-नन्हें बच्चे हैं
और दिल के सच्चे हैं
इस नीरस दुनिया में
रोचकता से भरे हैं
देखकर इन्हें हर दिक्कत दूर हो जाएगी
केवल मुस्कान ही चेहरे पर छाएगी
तुम रोक नहीं सकते इस खुशी को…
जो बच्चों को देखकर आएगी ll
मुस्कान यादव
आयु – 16 साल