बच्चे
बच्चे
हम छोटे-छोटे बच्चे हैं
हम मन के पूरे सच्चे हैं
नहीं अकल के कच्चे हैं।
खूब पढ़ेंगे हम खूब पढ़ेंगे
आगे बढ़ेंगे, बढ़ते ही रहेंगे
जग में अपना खूब नाम करेंगे।
हम अज्ञानता को दूर कर
शिक्षित समाज बनाएँगे
सारे दुखों को मिटा कर
हम सुखी संसार बसाएँगे
आज शत्रु हैं जो उनको भी
हम अपना मित्र बनाएँगे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़