बच्चे होते कितने मासूम और ईश्वर सदृश्य
एक बगीचे में गर
फूल न हों तो क्या वह एक
फूलों का बगीचा कहलायेगा
एक परिवार में गर बच्चे न हों तो क्या
वह एक हंसता खेलता खुशहाल परिवार कहलायेगा
बच्चे होते कितने मासूम और
ईश्वर सदृश्य
यह बच्चे गर हमारे इर्द गिर्द न हों तो
क्या इस पत्थर दिल दुनिया में कोई दिल
सच में खुश होकर धड़क पायेगा
खुद पर विश्वास न खोता
एक लंबा जीवन जी पायेगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001