*बच्चे (बाल कविता)*
बच्चे (बाल कविता)
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1️⃣
घर पर हम पढ़ते हैं बच्चे
यों आगे बढ़ते हैं बच्चे
2️⃣
विद्यालय सब बंद चल रहे
कक्षा खुद गढते हैं बच्चे
3️⃣
खुद ही खुद से पाठ पढ़ रहे
सीढ़ी यों चढ़ते हैं बच्चे
4️⃣
कोरोना पर सब गड़बड़ का
भाग्य – दोष मढ़ते हैं बच्चे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451