” बच्चे अचानक से बड़े हो जाते हैं “
ना जाने कब चुपके से
हाथ छुड़ा कर दूर खड़े हो होने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
जो बिना ऊँगली पकड़े चल नही पाते थे
वो अब ऊँगली थाम कर चलने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
हमने उनको अक्षर जोड़ना सिखाया
वो हमें ही बोलना सिखाने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
जो हर दर्द पर चिल्लाते थे
अब अपना दर्द दबाने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
स्कूल से आकर जो सब बातें बताते थे
अब कुछ बातें छिपाने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
जिनके लिए हम रात – रात भर जगते थे
वो अब हमारे लिये भी जगने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
हर एक बात टोक – टोक कर सिखाते थे
वो हमें ही नसीहतें देने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
सीने से चिपका कर सड़क पार कराते थे
अब सड़क वो हमको पार कराने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
हमारे सिखाने पर जो लाते थे तारीफों के ढेर
अब हर बात पर हमको सिखाने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ,
जो हमेशा हमें छोटे लगते थे
अब अपने बड़े होने का दावा करने लगे हैं
बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं ।।।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 02 – 09 – 2018 )