बची रहे संवेदना…
सुख-दुख सबके एक हों, रहे न जरा दुराव।
बची रहे संवेदना, बना रहे सद्भाव।।
हित औरों का सोचना, अपनी इच्छा मार।
बने यही संवेदना, जीवन का आधार।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
सुख-दुख सबके एक हों, रहे न जरा दुराव।
बची रहे संवेदना, बना रहे सद्भाव।।
हित औरों का सोचना, अपनी इच्छा मार।
बने यही संवेदना, जीवन का आधार।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)