बचपन
याद आती है वह बचपन , जो था अपनों का आंगन
जब थे साथ आप , क्या थी यह जीवन
कितना खुश था यह उपवन
याद आती है वह बचपन।।
थी मधुर स्वर का मिलन , थी साथ सपनों का आंगन
थी यह जीवन जगमग, कितनी हर्षपूर्ण थी यह जीवन
याद आती है वह बचपन।।
सीखी थी आपकी अंगुलियां पकड़कर चलना
सीखी थी आपसे गिर के संभलना
सीखी थी आपसे रोकर हंसना
सीखी थी आपसे तर्क-वितर्क करना
कितना आनन्दमय था यह जीवन
याद आती है वह बचपन।।
आप थे हंसी थी, आप थे खुशी थी
आप थे खुशी थी, आप थे सुखी थी
याद आते हैं आप पिता जी
याद आती है बात आपकी
याद आती है वह बचपन।।
रह गई बस याद के साथ आपकी
रह गई बातें बस याद सबों की
रह गई अब सिर्फ बातों का सफर
रह गई है अब यादों का सफर
थम गई जीवन का यह सफर
याद आती है वह बचपन, जो था अपनों का आंगन।।