बचपन
बचपन के दिनों में तो यारों,सबके अलग फ़साने थे,
छोटी छोटी बातों में भी,खुशियों के मिले खजाने थे ।
निराले थे अंदाज सभी के,खेलकूद और मस्ती के,
लेपटॉप,मोबाइल,न् ही वीडियो गेम के हम परवाने थे।
जबतक घर से बाहर न् खेले,मिलता हमको सुकूँ नहीं
दोस्तों के संग मस्ती में,हो जाते हम सब मस्ताने थे।
अमृतमयी स्वाद मिलता था,माँ के हाथ के खाने में,
पापा की डाँट से बचने के, अलग ही सबके बहाने थे।
भाई बहन से गपशप करना,बातबात पर टांग खींचना,
छोटी छोटी बातों में, मिली खुशियों के हम दीवाने थे।
सर्दी गर्मी या हो बारिश,हर मौसम था प्यारा हमको,
बचपन का अनमोल सफर,मीठी यादों के बने तराने थे।
By: Dr Swati Gupta