बचपन
रिमझिम – रिमझिम बारिश आई ,
बादलों की गड़ – गड़ाहट ,
हवाओं की सर – सराहट ,
अपने संग लेकर आई ,
इस मौसम में , तलब बस एक प्याली चाय की है ,
संग पकोड़े के , बारिश जमती बड़ी है ।
बारिश में ,
बच्चे नाचे छम-छम ,
दुकान जाता एक व्यक्ति
कीचड़ में गिर गया धम।
बच्चे खेल अनेक खेल ,
बना नाव सब अपनी – अपनी ,
बारिश से मिला रहे है ताल – मेल ,
बारिश के जमा पानी में ,
सब अपनी नौका दौड़ा रहे है ,
सभी बच्चे,
अपनी सुनेहरी बचपन की यादो को सजा रहे है।
बारिश का जो मौसम है
बचपन में मुझे भी बहुत भाता था
मगर अब वो ही बहुत सताता है ,
काम पर जाते वक्त कमबख्त रोकधाम बहुत लगता है ,
बचपन में स्कूल ना जाने के हम अनेक बहाने लगाते थे,
मगर अब वो ही स्कूल बहुत याद आता है ,
रोज़ स्कूल जाता एक बालक
मुझे मेरे बचपन की याद दिलवाता है ।
अब है लगता मुझे भी,
हाँ है यह बात सही की
बड़े होने के बाद बचपन ही है
जो सबसे ज़्यादा याद आता है।।
❤️ सखी