बचपन याद बहुत आता है
बचपन याद बहुत आता है
आज भी मन में मुस्काता है
जब भी दिल में होती पीड़ा
याद आके दिल बहलाता है
नहीं रहे वो मिट्टी के खिलौने
ढूंढ चुका हूं जिन्हें कोने-कोने
वो बचपन अब तड़पाता है
मेलों के झूले,तितली पकड़ना
खेल-खेल में लड़ना झगड़ना
सोच के दिल ये भर आता है
बचपन की वो छिना झपटी
याद आती है स्कूल की तख्ती
माना’विनोद’ये कम्प्यूटर युग है
पढ़ना-लिखना सबको भाता है