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22 Feb 2024 · 1 min read

बचपन में थे सवा शेर

बचपन में थे सवा शेर जो
यौवन आते वो शेर हो गए
सच्चाई इन शेरों की सुनिए
शादी होते सब ढ़ेर हो गए—बचपन में
जानें कैसा जीवन आया
भूले अपना और पराया
बीबी के आधीन हो गए
भूले हैं अपना मन भाया
माॅ॑ के लिए बादाम थे कभी
कब झाड़ी के बेर हो गए—बचपन में
फूलों के जैसा था बचपन
भंवरे की भांति था यौवन
आज सभी ऐसे मुरझाए
ज्यों पतझड़ में पेड़-लताएं
जो पहले थे गुलाब बसंती
सूखी हुई कनेर हो गए—बचपन में
जीवन की कड़वी सच्चाई
‘V9द’ रह गई हैं परछाई
बचपन यौवन कहीं नहीं है
मैं तुम वो हम कहीं नहीं है
जिम्मेदारियों का बोझ पड़ा
थे कुछ कुछ और हो गए—बचपन में

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