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21 Apr 2022 · 2 min read

बचपन में ” *च* ” का अनूठा खेल

बचपन में ” ” का अनूठा खेल
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करीब 50 साल पहले हम अपने बचपन में एक अनूठा खेल खेलते थे। जो शब्द भी बोलना होता था, उसमें हर अक्षर से पहले ” ” लगा देते थे । उदाहरण के तौर पर अगर यह कहना है कि
कल पाँच बजे आना”
तो उसे इस प्रकार कहते थे
चक चल चपाँ चच चब चजे चआ चना”
जिनको शब्दों का यह रहस्य पता होता था कि हर अक्षर से पहले लगा है, वह बच्चे समझ जाते थे और जो इस रहस्य से अपरिचित होते थे वह मुँह ताकते रह जाते थे ।
इसमें बोलना भी बड़ा कठिन रहता था। देखने में तो यह आसान लगता है कि हमने हर अक्षर से पहले लगा दिया । लेकिन फुल स्पीड में धाराप्रवाह लगाते हुए शब्दों को बोलते चले जाना बहुत कठिन होता था। जितनी तेजी के साथ लगाते हुए बोला जाएगा, उतना ही अपरिचित व्यक्ति को समझ में नहीं आएगा । अगर धीरे-धीरे बोलेंगे और उसकी समझ में आ गया कि यह लगा रहे हैं तो सारा खेल बिगड़ जाएगा ।
कुछ बच्चे यह खेल समझ तो जाते थे और उन्हें बताया भी जाता था कि हर अक्षर से पहले लगाना है। लेकिन उसके बाद भी जो वाक्य बोला जाता था ,वह उसे नहीं समझ पाते थे। इस तरह खेल चलता रहता था । कुछ बच्चे पास होते थे । कुछ फेल होते थे । कुछ औसत दर्जे के नंबर लाते थे। यह खेल हमारे पिताजी ने हमको सिखाया था।
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

Language: Hindi
454 Views
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