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5 Nov 2018 · 1 min read

बचपन ना छीनो

रे मानव नन्हें-नन्हें बच्चों का बचपन ना छीनो तुम
कापी किताब उनके हाथों में सौंपने से पहले
मतलब तो समझाओ तुम

रे मानव उनसे क्या उम्मीद तु करता
नव जीवन का नयी चेतना का
उल्हास तो जगाओ तुम
उसे उसका स्वच्छंद मन से
बचपन तो जी लेने दो
जीवन के नवीन पड़ाव की
परिभाषा तो पढ़ लेने दो

रे मानव क्यो तु ये न समझता
बचपन जब बलशाली रहेगा
तभी तो खुशी से वोआगे बढ़ेगा
नन्हें पौधों को सींचते जैसे
नन्हें बच्चों को भी सीचो तुम
तभी तो वे भी दुनिया में आगे चलकर
छाया देंगे वृहत वृक्ष सी

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