बचपन के साथी, पेड़ हमारे
बचपन के साथी यह पेड़ हमारे,
उछल कूद करते थे इनके सहारे,
यह पथ दुर्गम पर जाना पहचाना,
यहाँ के कंकर का क्या कहना,
तेंदू सीताफल कितने मीठे फल,
इनसे ज्यादा मीठे बचपन के पल,
गांव के पश्चिम में हम सब चले,
राह की मिट्टी भी हमसे मिले,
कल कल बहता जंगल का जल,
कितना मीठा जैसे हो राम फल,
मोर भी देख नजारा नाच उठी,
देखो ये भैंसे भी मचल उठी,
बीच जंगल मे एक प्यारा कुंड,
कछुवा देखो संग मछली झुंड,
महादेव का यह पावन स्थल,
कभी न सूखे यहाँ का जल,
भूखों को मिलता यहाँ भोजन,
पनियारा कहते सभी इसको जन,
मन पाता यहाँ अथाह शांति,
साधु जन से मिलती ज्ञान भक्ति,
कर दर्शन लौट घर आये,
देख हरियाली मन हर्षाये,
।।।जेपीएल।।।।