बचपन के वो जमाने थे!
बचपन के वो जमाने थे!
बचपन के वो जमाने थे,
स्कूल न जाने के बहाने थे।
दिन भर धूप में खेलते थे,
यहां वहां हम दौड़ते थे।
दोस्ती का सीधा हिसाब था,
एक जैसा सबका लिबाज़ था।
लुका छुपी वाला खेल था,
कोई पास तो कोई फेल था।
सक्रांति में हम पतंग लड़ाते थे,
बारिश होती तो नाव बनाते थे।
चिड़या उड़, मैना उड़, करते थे,
सब इक दूसरे से कहते थे।
बिना वजह ही खुश रहते थे,
हवा की तरह रोज़ बहते थे।
बस किस्से और फसाने थे,
बचपन के वो जमाने थे।